पाणà¥à¤¡à¤µ और कौरव (à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• कहानी)
पेरू के राजवंश में à¤à¤°à¤¤ थे और à¤à¤°à¤¤ के परिवार में राजा कà¥à¤°à¥ थे। शांतनॠका जनà¥à¤® कà¥à¤°à¥ वंश में हà¥à¤† था। शांतनॠसे गंगनंदन à¤à¥€à¤·à¥à¤® का जनà¥à¤® हà¥à¤† था। उनके दो और छोटे à¤à¤¾à¤ˆ थे- चितà¥à¤°à¤¾à¤‚गद और विचितà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¨à¥à¤¯à¥¤ उनका जनà¥à¤® शांतनॠसे सतà¥à¤¯à¤µà¤¤à¥€ के गरà¥à¤ से हà¥à¤† था। शांतनॠके जाने के बाद à¤à¥€à¤·à¥à¤® अविवाहित रहे और अपने à¤à¤¾à¤ˆ विचितà¥à¤°à¤µà¥€à¤°à¥à¤¯ के राजà¥à¤¯ का पालन किया: चितà¥à¤°à¤¾à¤‚गद को बचपन में ही चितà¥à¤°à¤¾à¤‚गद नामक गंधरà¥à¤µ जाति के लोगों ने मार डाला था। फिर à¤à¥€à¤·à¥à¤® संगà¥à¤°à¤¾à¤® में विपकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को परासà¥à¤¤ कर वे काशीराज की दो पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚- अमà¥à¤¬à¤¿à¤•à¤¾ और अंबालिका को वापस ले आà¤à¥¤ दोनों विचितà¥à¤°à¤µà¥€à¤°à¥à¤¯ की पतà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बनीं। कà¥à¤› समय के बाद राजयकà¥à¤·à¥à¤®à¤¾ के कारण राजा विचितà¥à¤°à¤µà¥€à¤°à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥à¤—वासी हो गà¤à¥¤ तब अमà¥à¤¬à¤¿à¤•à¤¾ के गरà¥à¤ से राजा धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° और अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¿à¤•à¤¾ के गरà¥à¤ से पांडॠका जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° ने गांधारी के गरà¥à¤ से सौ पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को जनà¥à¤® दिया, जिनमें दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ सबसे बड़ा था और पांडॠके यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤°, à¤à¥€à¤®, अरà¥à¤œà¥à¤¨, नकà¥à¤², सहदेव आदि पांच पà¥à¤¤à¥à¤° थे। धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° जनà¥à¤® से अंधे थे, इसलिठपांडॠने उनका सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ लिया। धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° को राजा बनाया गया, इस कारण धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° हमेशा अपने अंधेपन पर कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ रहने लगे और पांडॠके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घृणा करने लगे। पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ को जीतकर पांडॠने कà¥à¤°à¥ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की सीमाओं को यवनों के देश तक बढ़ा दिया था। à¤à¤• बार राजा पांडॠअपनी दोनों पतà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ कà¥à¤‚ती और मादà¥à¤°à¥€ के साथ शिकार के लिठवन में गà¤à¥¤ वहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मृगों का à¤à¤• जोड़ा देखा। पांडॠने तà¥à¤°à¤‚त अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। कà¥à¤› समय बाद जब मृग मर गया। तब पांडॠको पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¤¾à¤ª हà¥à¤†à¥¤ तब राजा पाणà¥à¤¡à¥ ने कहा- मैं सब वासनाओं को तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर इस वन में रहूà¤à¤—ा, तà¥à¤® लोग हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° लौट जाओ। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ बिना हम à¤à¤• पल à¤à¥€ जीवित नहीं रह सकते। कृपया हमें अपने साथ वन में रखिà¤à¥¤" पांडॠने उनके अनà¥à¤°à¥‹à¤§ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने साथ वन में रहने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ दे दी। à¤à¤• दिन राजा पांडॠमादà¥à¤°à¥€ के साथ सरिता नदी के तट पर जंगल में यातà¥à¤°à¤¾ कर रहे थे। वातावरण बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤–द था और शीतल, शीतल और सà¥à¤—नà¥à¤§à¤¿à¤¤ वायॠचल रही थी। à¤à¤•à¤¾à¤à¤• वायॠके à¤à¥‹à¤‚के ने मादà¥à¤°à¥€ के वसà¥à¤¤à¥à¤° उड़ा दिये। इससे पांडॠका मन चंचल हो गया और वे संà¤à¥‹à¤— में लिपà¥à¤¤ हो गये। बहà¥à¤¤ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बाद उनके पाà¤à¤š पà¥à¤¤à¥à¤° हà¥à¤à¥¤ कà¥à¤› दिनों के बाद उदासी के कारण उनकी मृतà¥à¤¯à¥ हो गई। , चिंता और बीमारी। मादà¥à¤°à¥€ ने उसके साथ सती की लेकिन कà¥à¤‚ती पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को पालने के लिठहसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° लौट आई। कहा जाने पर, सà¤à¥€ ने पांडवों को पांडॠके पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया और उनका सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। जब कà¥à¤‚ती का विवाह नहीं हà¥à¤† था, उसी समय करà¥à¤£ था उसकी कोख से राजा सूरà¥à¤¯ ने जनà¥à¤® लिया था। लेकिन लोक लाज के डर से कà¥à¤‚ती ने करà¥à¤£ को à¤à¤• डिबà¥à¤¬à¥‡ में बंद कर गंगा नदी में फेंक दिया। करà¥à¤£ गंगा में बह रहा था तà¤à¥€ महाराज धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के सारथी अधिरथ और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ राधा ने उसे देखा और उसे गोद लिया और चल दिà¤à¥¤ उसकी देखà¤à¤¾à¤² करना। छोटी उमà¥à¤° से ही करà¥à¤£ को अपने पिता अधिरथ की तरह रथ चलाने की बजाय यà¥à¤¦à¥à¤§ कला में अधिक रà¥à¤šà¤¿ थी। करà¥à¤£ और उनके पिता अधिरथ की मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ से हà¥à¤ˆ जो उस समय यà¥à¤¦à¥à¤§ कला के सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• थे। दà¥à¤°à¥‹à¤£à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ उस समय कà¥à¤°à¥ राजकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ दिया करते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने करà¥à¤£ को शिकà¥à¤·à¤¾ देने से मना कर दिया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि करà¥à¤£ à¤à¤• सारथी का पà¥à¤¤à¥à¤° था और दà¥à¤°à¥‹à¤£ केवल कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ देते थे। दà¥à¤°à¥‹à¤£à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ की असहमति के बाद, करà¥à¤£ ने परशà¥à¤°à¤¾à¤® से संपरà¥à¤• किया जो केवल बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ देते थे। करà¥à¤£ ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ बताते हà¥à¤ परशà¥à¤°à¤¾à¤® से शिकà¥à¤·à¤¾ की याचना की। परशà¥à¤°à¤¾à¤® ने करà¥à¤£ के अनà¥à¤°à¥‹à¤§ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया और काम को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की तरह यà¥à¤¦à¥à¤§ कला और धनà¥à¤°à¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ दिया। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° करà¥à¤£ परशà¥à¤°à¤¾à¤® का à¤à¤• बहà¥à¤¤ मेहनती और निपà¥à¤£ शिषà¥à¤¯ बन गया। करà¥à¤£ दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की शरण में रहता था। दैयोग और शकà¥à¤¨à¤¿ के विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤˜à¤¾à¤¤ के कारण कौरवों और पांडवों के बीच शतà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ की आग à¤à¤¡à¤¼à¤• उठी। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ बहà¥à¤¤ ही कà¥à¤¶à¤¾à¤—à¥à¤° बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ था। शकà¥à¤¨à¤¿ के कहने पर उसने बचपन में कई बार पांडवों को मारने की कोशिश की। जब यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर, जो गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में उनसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ थे, को यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में यà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ बनाया गया था, तब शकà¥à¤¨à¤¿ ने पांडवों को लकà¥à¤· के बने घर में रखकर आग लगाने की कोशिश की, लेकिन विदà¥à¤° की मदद से पांचों पांडवों सहित उनकी माठउस जलते हà¥à¤ घर से à¤à¤¾à¤— निकली। वहां से निकलकर à¤à¤•à¤šà¤•à¥à¤° नगरी में जाकर साधॠके वेश में à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ के घर में रहने लगा। फिर बक नाम के दà¥à¤·à¥à¤Ÿ और पापी का वध करके वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी की सलाह पर वे पांचाल-राजà¥à¤¯ में गà¤, जहां दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ का सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर होने वाला था। पंचाल के राजà¥à¤¯ में, पांचों पांडवों ने दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ को अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जब अरà¥à¤œà¥à¤¨ के लकà¥à¤·à¥à¤¯-à¤à¥‡à¤¦à¥€ कौशल में गड़बड़ हो गई। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ के सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर से पहले विदà¥à¤° को छोड़कर सà¤à¥€ पांडवों को मृत मान लिया गया था और इसी वजह से धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° ने शकà¥à¤¨à¤¿ के कहने पर दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ को यà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ बना दिया था। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर के बाद, दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ आदि को पांडवों के जीवित रहने के बारे में पता चला: पांडवों ने कौरवों से अपना राजà¥à¤¯ मांगा, लेकिन गृहयà¥à¤¦à¥à¤§ के खतरे से बचने के लिà¤, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने खंडवन को कौरवों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खंडहर में दिठगठराजà¥à¤¯ के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। पांडà¥à¤•à¥à¤®à¤¾à¤° अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने खांडवन को जलाया। शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ के साथ वहाठअरà¥à¤œà¥à¤¨ और कृषà¥à¤£ जी ने सà¤à¥€ देवताओं को यà¥à¤¦à¥à¤§ में हरा दिया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यà¥à¤¦à¥à¤§ में à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ रूपी सारथी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ इंदà¥à¤° के कहने पर विशà¥à¤µà¤•à¤°à¥à¤®à¤¾ और माया ने मिलकर खंडवन को इंदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ के समान à¤à¤µà¥à¤¯ नगर के रूप में बसाया, जिसका नाम इंदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ रखा गया। सà¤à¥€ पांडव सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में निपà¥à¤£ थे। पांडवों ने सà¤à¥€ दिशाओं पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ली और यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर शासन करने लगे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤°à¤¾ में सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ से à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ राजसूय यजà¥à¤ž का अनà¥à¤·à¥à¤ ान किया। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ के लिठउसका पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª असहà¥à¤¯ हो गया। वह अपने à¤à¤¾à¤ˆ दà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ और महिमा के पà¥à¤¤à¥à¤° करà¥à¤£ के कहने पर शकà¥à¤¨à¤¿ को अपने साथ ले गया, दà¥à¤¯à¥‚त सà¤à¤¾ में जà¥à¤ में लिपà¥à¤¤ हो गया, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर, उसके à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚, दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ और उनके राजà¥à¤¯ को छल और जà¥à¤ के माधà¥à¤¯à¤® से हंसते-हंसते जीत लिया। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ ने कà¥à¤°à¥ राजà¥à¤¯ सà¤à¤¾ में दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ का बहà¥à¤¤ अपमान किया, उसका निरà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥à¤° करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने उसकी लाज बचाई, उसके बाद दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ सà¤à¥€ को शà¥à¤°à¤¾à¤ª देने वाली थी लेकिन गांधारी ने आकर à¤à¤¸à¤¾ होने से रोक दिया। उसी समय जà¥à¤ में हारकर यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर अपने à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ वन को चले गà¤à¥¤ वहाठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी मनà¥à¤¨à¤¤ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बारह वरà¥à¤· बिताà¤à¥¤ वह पहले की तरह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ वन में बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¥‹à¤œà¤¨ कराता था। वहाठउनके साथ उनकी पतà¥à¤¨à¥€ दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ और पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ धौमà¥à¤¯à¤œà¥€ à¤à¥€ थे। बारहवां वरà¥à¤· पास करने के बाद वे विराट नगर चले गà¤à¥¤ वहाठयà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर 'कंक' नाम के à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ के रूप में रहने लगे, जो अधिकांश के लिठअजà¥à¤žà¤¾à¤¤ था। à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ रसोइठबने। अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने अपना नाम 'बृहनà¥à¤¨à¤¾à¤²à¤¾ पांडव पतà¥à¤¨à¥€ दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€' सैरंधà¥à¤°à¥€ के रूप में रनिवास में रहने लगा, इसी तरह नकà¥à¤²-सहदेव ने à¤à¥€ अपना नाम बदल लिया। à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ ने कीचक को मार डाला जो रात में दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ लेना चाहता था। उसके बाद कौरव विराट की गायों को ले जाने लगे, तब वे अरà¥à¤œà¥à¤¨ से हार गà¤à¥¤ उस समय कौरवों ने पांडवों को पहचान लिया, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की बहन सà¥à¤à¤¦à¥à¤°à¤¾ ने अरà¥à¤œà¥à¤¨ से अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥ नाम के à¤à¤• पà¥à¤¤à¥à¤° को जनà¥à¤® दिया, राजा विराट ने उनकी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ धरà¥à¤®à¤°à¤¾à¤œ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर के साथ सात अकà¥à¤·à¥Œà¤¹à¤¿à¤£à¥€ सेना के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ होने के कारण कौरवों से यà¥à¤¦à¥à¤§ करने के लिठतैयार हो गà¤à¥¤ सबसे पहले à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ सबसे कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ के पास दूत के रूप में गà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ अकà¥à¤·à¥Œà¤¹à¤¿à¤£à¥€ सेना के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ राजा दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ से कहा राजनॠ! तà¥à¤® यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर को आधा राजà¥à¤¯ दो या उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ केवल पाà¤à¤š गाà¤à¤µ ही दो: अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ उनसे यà¥à¤¦à¥à¤§ करो।" शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की बात सà¥à¤¨à¤•à¤° दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ ने कहा - 'मैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤ˆ की नोक के बराबर à¤à¥€ जमीन नहीं दूंगा, हां, मैं जरूर दूंगा। उनके साथ यà¥à¤¦à¥à¤§ किया। तब विदà¥à¤° ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने घर ले जाकर शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की पूजा की और उनका समà¥à¤®à¤¾à¤¨ किया। इसके बाद वे यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर के पास लौट आठऔर कहा- महाराज! आप दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ से यà¥à¤¦à¥à¤§ करें। यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर और दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की सेना कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के मैदान में गई। शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ को देखकर उनके विरोध में पितामह à¤à¥€à¤·à¥à¤® और आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ की तरह अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने लड़ना बंद कर दिया, तब à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ ने उनसे कहा "पारà¥à¤¥à¤² à¤à¥€à¤·à¥à¤® आदि शिकà¥à¤·à¤• शोक के योगà¥à¤¯ नहीं हैं।" " शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के कहने पर अरà¥à¤œà¥à¤¨ यà¥à¤¦à¥à¤§ में उतर गया और यà¥à¤¦à¥à¤§ करने लगा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शंख बजाया। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की सेना में à¤à¥€à¤·à¥à¤® पà¥à¤°à¤¥à¤® सेनापति बने। पांडवों का सेनापति। शिखंडी था। इन दोनों में घोर यà¥à¤¦à¥à¤§ छिड़ गया। उस यà¥à¤¦à¥à¤§ में à¤à¥€à¤·à¥à¤® सहित कौरव पकà¥à¤· के योदà¥à¤§à¤¾ पांडव-पकà¥à¤· के सैनिकों पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ करने लगे और शिखंडी आदि पांडव-पकà¥à¤· के वीर कौरव-सैनिकों पर अपने बाणों का निशाना लगाने लगे। कौरवों और पांडवों की सेना का वह संगà¥à¤°à¤¾à¤® देवासà¥à¤°-लड़ाई जैसा पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहा था। à¤à¥€à¤·à¥à¤® ने दस दिनों तक यà¥à¤¦à¥à¤§ किया और अपने बाणों से अधिकांश पांडव सेना को मार डाला। दसवें दिन, अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने वीरवर à¤à¥€à¤·à¥à¤® पर बाणों की à¤à¤¾à¤°à¥€ वरà¥à¤·à¤¾ की। इधर दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¦ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से शिखंडी ने à¤à¥€ à¤à¥€à¤·à¥à¤® पर बाणों की वरà¥à¤·à¤¾ की, जैसे बादल पानी बरसाता है। दोनों ओर के हाथीसवार, घà¥à¤¡à¤¼à¤¸à¤µà¤¾à¤°, सारथी और पà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥‡ à¤à¤• दूसरे के बाणों से मारे गà¤à¥¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के दसवें दिन अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने शिखंडी को अपने रथ के आगे बिठाया। शिखंडी को आगे देखकर à¤à¥€à¤·à¥à¤® ने धनà¥à¤· तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिया। अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने शसà¥à¤¤à¥à¤° तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बाणों की शयà¥à¤¯à¤¾ पर सà¥à¤²à¤¾ दिया। वे उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करते हà¥à¤ à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करते हà¥à¤ समय वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने लगे। जब à¤à¥€à¤·à¥à¤® के बाण-शयà¥à¤¯à¤¾ पर गिरने से दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ शोक से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² हो गया, तब आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ ने सेना की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ संà¤à¤¾à¤²à¥€à¥¤ दूसरी ओर, धृषà¥à¤Ÿà¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ आननà¥à¤¦à¤¿à¤¤ होकर पांडवों की सेना के सेनापति बन गà¤à¥¤ दोनों में घोर यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤ राजा विराट और दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¦ आदि दà¥à¤°à¥‹à¤£ रूपी समà¥à¤¦à¥à¤° में डूब गà¤à¥¤ उस समय दà¥à¤°à¥‹à¤£ काल की तरह रहते थे। इसी बीच उसके कानों में आवाज आई कि 'अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ मारा गया है। यह सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ ने अपने असà¥à¤¤à¥à¤°-शसà¥à¤¤à¥à¤° तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिये। à¤à¤¸à¥‡ समय धृषà¥à¤Ÿà¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ के बाणों से आहत होकर वह पृथà¥à¤µà¥€ पर गिर पड़ा। दà¥à¤°à¥‹à¤£ बड़े ही दà¥à¤°à¥à¤§à¤°à¥à¤· थे। पाà¤à¤šà¤µà¥‡à¤‚ दिन सà¤à¥€ कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का नाश करने के बाद वह मारा गया दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ फिर शोक से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² हो उठा। उस समय करà¥à¤£ अपनी सेना का कपà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बना: अरà¥à¤œà¥à¤¨ को पांडव सेना की सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤šà¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ करà¥à¤£ और अरà¥à¤œà¥à¤¨ के पास à¤à¤• था नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के असà¥à¤¤à¥à¤°-शसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ महासंगà¥à¤°à¤¾à¤®, जो देवासà¥à¤° संगà¥à¤°à¤¾à¤® को à¤à¥€ मात देने वाला था। करà¥à¤£ और अरà¥à¤œà¥à¤¨ के यà¥à¤¦à¥à¤§ में करà¥à¤£ ने अपने बाणों से शतà¥à¤°à¥ पकà¥à¤· के अनेक वीरों को मार गिराया; हालाà¤à¤•à¤¿ यà¥à¤¦à¥à¤§ गतिरोध होता जा रहा था, करà¥à¤£ उस समय लड़खड़ा गया जब उसके रथ का à¤à¤• पहिया धरती में धà¤à¤¸ गया (धरती माता के शà¥à¤°à¤¾à¤ª के कारण)। वह अपने गà¥à¤°à¥ परशà¥à¤°à¤¾à¤® दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शापित होने के कारण खà¥à¤¦ को दैवीय हथियारों का उपयोग करने में असमरà¥à¤¥ पाता है। तब करà¥à¤£ अपने रथ का पहिया निकालने के लिठनीचे उतरता है और अरà¥à¤œà¥à¤¨ से यà¥à¤¦à¥à¤§ के नियमों का पालन करने और कà¥à¤› समय के लिठउस पर तीर चलाना बंद करने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ करता है। तब शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ अरà¥à¤œà¥à¤¨ से कहते हैं कि करà¥à¤£ को अब यà¥à¤¦à¥à¤§ नियम और धरà¥à¤® की बात करने का कोई अधिकार नहीं है, जबकि उसने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥ के वध के समय किसी यà¥à¤¦à¥à¤§ नियम और धरà¥à¤® का पालन नहीं किया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आगे कहा कि उनका धरà¥à¤® तब कहाठथा जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दिवà¥à¤¯ जनà¥à¤® दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ को पूरी कà¥à¤°à¥ राजसà¤à¤¾ के सामने वेशà¥à¤¯à¤¾ कहा था। गेमिंग हॉल में उनका धरà¥à¤® कहाठगया? इसलिठअब उसे किसी à¤à¥€ धरà¥à¤® या यà¥à¤¦à¥à¤§ नियम की बात करने का अधिकार नहीं रहा और उसने अरà¥à¤œà¥à¤¨ से कहा कि कामना अब असहाय है (बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ का शà¥à¤°à¤¾à¤ª फलित हà¥à¤†) इसलिठउसे उसे मार देना चाहिà¤à¥¤ शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ कहते हैं कि यदि अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने इस निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• मोड़ पर करà¥à¤£ को नहीं मारा तो शायद पांडव उसे कà¤à¥€ नहीं मार पाà¤à¤‚गे और यह यà¥à¤¦à¥à¤§ कà¤à¥€ नहीं जीता जा सकेगा। फिर, अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने à¤à¤• हथियार का उपयोग करके करà¥à¤£ को मार डाला। करà¥à¤£ के शरीर के जमीन पर गिर जाने के बाद, राजा शलà¥à¤¯ कौरव सेना के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सेनापति बने, लेकिन वे यà¥à¤¦à¥à¤§ में केवल आधे दिन ही रह सके। दोपहर तक राजा यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने उसका वध कर दिया। यà¥à¤¦à¥à¤§ में दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की लगà¤à¤— पूरी सेना मारी गई थी। अंततः उसका à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ से यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤ उसने पांडव पकà¥à¤· के कई सैनिकों को मारने के बाद à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ किया। उस समय दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ के अनà¥à¤¯ छोटे à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ ने गदा से पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करते हà¥à¤ मार डाला। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के उस अठारहवें दिन, रात के समय, पराकà¥à¤°à¤®à¥€ अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ ने पांडवों की सोई हà¥à¤ˆ अकà¥à¤·à¥Œà¤¹à¤¿à¤£à¥€ सेना को हमेशा के लिठसà¥à¤²à¤¾ दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ के पांच पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚, उनके पांचालदेशी à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ और धृषà¥à¤Ÿà¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ को à¤à¥€ जीवित नहीं छोड़ा। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ निःसंतान होकर रोने लगी। तब अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने सींक के असà¥à¤¤à¥à¤° से अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ को हरा दिया। उसे मारा जाता देख दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अनà¥à¤¨à¤¯-विनय कर अपनी जान बचाई। अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ ने इसके बावजूद उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ की कोख नषà¥à¤Ÿ करने के लिठदà¥à¤·à¥à¤Ÿ अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ ने उस पर à¤à¤• असà¥à¤¤à¥à¤° का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया। लेकिन शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने उसे बचा लिया। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ की वही अजनà¥à¤®à¥€ संतान बाद में राजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ कृतवरà¥à¤®à¤¾, कृपाचारà¥à¤¯ और अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾- ये तीनों कौरव पकà¥à¤· के वीर उस यà¥à¤¦à¥à¤§ में जीवित बच गà¤à¥¤ दूसरी ओर पाà¤à¤š पांडव, सातà¥à¤¯à¤•à¤¿ और à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ - केवल ये सात ही जीवित रह सके; दूसरे कोई नहीं बचे। उस समय अनाथ महिलाओं की चीखें हर तरफ फैल रही थीं। à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ आदि à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ जाकर यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सांतà¥à¤µà¤¨à¤¾ दी और यà¥à¤¦à¥à¤§à¤à¥‚मि में मारे गठसà¤à¥€ वीरों का दाह संसà¥à¤•à¤¾à¤° कर उनके लिठजलांजलि दे धन आदि का दान किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में शरशयà¥à¤¯à¤¾ पर विराजमान शांतनà¥à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¨ à¤à¥€à¤·à¥à¤® के पास गये और उनसे समसà¥à¤¤ शांतिदायक धरà¥à¤®, राजधरà¥à¤® (अपधरà¥à¤®), मोकà¥à¤·à¤§à¤°à¥à¤® और दंडधरà¥à¤® को सà¥à¤¨à¤¾à¥¤ फिर वह गदà¥à¤¦à¥€ पर बैठा। इसके बाद उस शतà¥à¤°à¥à¤®à¤°à¥à¤¦à¤¨ राजा ने अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤˜ यजà¥à¤ž किया और उसमें बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को बहà¥à¤¤ सा धन दान किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ महामारी के कारण अरà¥à¤œà¥à¤¨ के मà¥à¤– से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ शà¥à¤°à¤¾à¤ª के कारण आपसी यà¥à¤¦à¥à¤§ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यादवों के विनाश का समाचार सà¥à¤¨à¤•à¤° यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ को राजा के आसन पर बिठाया और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बड़ी विदा करके अपने à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ चले गà¤à¥¤ जब यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर सिंहासन पर बैठे। तब धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° गृहसà¥à¤¥-आशà¥à¤°à¤® से वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥-आशà¥à¤°à¤® में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर वन में चले गà¤à¥¤ (या वह ऋषियों के à¤à¤• आशà¥à¤°à¤® से दूसरे आशà¥à¤°à¤® में जाते समय जंगल में चला गया) उसके साथ देवी गांधारी और पृथा (कà¥à¤‚ती) थीं। विदà¥à¤° जी आग से à¤à¥à¤²à¤¸ गà¤à¥¤ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥€ ने पांडवों को धरà¥à¤® की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ और अधरà¥à¤® के विनाश का निमितà¥à¤¤ बनाकर पृथà¥à¤µà¥€ के à¤à¤¾à¤° को दूर किया और राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚ आदि का संहार किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ à¤à¥‚मिका का à¤à¤¾à¤° बढ़ाने वाले यादव कà¥à¤² को à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ के शà¥à¤°à¤¾à¤ª के बहाने मूसल से मार डाला गया। अनिरà¥à¤¦à¥à¤§ के पà¥à¤¤à¥à¤° वजà¥à¤° को राजा के रूप में अà¤à¤¿à¤·à¤¿à¤•à¥à¤¤ किया गया था। अविनाशी शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¸à¥à¤¥ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के लकà¥à¤·à¥à¤¯ हैं। जब उनका निधन हो गया, तो समà¥à¤¦à¥à¤° ने अपना वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त निवास छोड़ दिया और शेष दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤ªà¥à¤°à¥€ को अपने जल में डà¥à¤¬à¥‹ दिया। अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने मृत यादवों का अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° किया और उनके लिठजल चढ़ाया और धन आदि का दान à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की रानियों को दिया, जो पहले अपà¥à¤¸à¤°à¤¾à¤à¤ थीं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° ले चलो। रासà¥à¤¤à¥‡ में अरà¥à¤œà¥à¤¨ का अनादर करते हà¥à¤ लाठियों से लदे गà¥à¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ ने उन सबको छीन लिया। इससे अरà¥à¤œà¥à¤¨ के हृदय में बड़ा शोक हà¥à¤†à¥¤ तब महरà¥à¤·à¤¿ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के सानà¥à¤¤à¥à¤µà¤¨à¤¾ देने पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हो गया कि शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के समीप होने के कारण ही मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ बल है। हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° आकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ सहित राजा यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर से यह सब समाचार निवेदन किया, जो उस समय पà¥à¤°à¤œà¤¾ का पालन करते थे। वे बोले- 'à¤à¤¾à¤ˆ! वही धनà¥à¤· है, वही बाण है, वही रथ है और वह घोड़ा है, लेकिन शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ के बिना सब कà¥à¤› नषà¥à¤Ÿ हो जाता है जैसे कि असà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ को दिया गया दान। यह सà¥à¤¨à¤•à¤° धरà¥à¤®à¤°à¤¾à¤œ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ को राजà¥à¤¯ पर सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया। इसके बाद संसार की नशà¥à¤µà¤°à¤¤à¤¾ का विचार करते हà¥à¤ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ राजा दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ और उनके à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को साथ लेकर हिमालय की ओर महान पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ के मारà¥à¤— पर चल पड़े। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€, सहदेव, नकà¥à¤², अरà¥à¤œà¥à¤¨ और à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ à¤à¤•-à¤à¤• करके उस महान मारà¥à¤— में गिर पड़े। इससे राजा शोकमगà¥à¤¨ हो गये।
पेरू के राजवंश में à¤à¤°à¤¤ थे और à¤à¤°à¤¤ के परिवार में राजा कà¥à¤°à¥ थे। शांतनॠका जनà¥à¤® कà¥à¤°à¥ वंश में हà¥à¤† था। शांतनॠसे गंगनंदन à¤à¥€à¤·à¥à¤® का जनà¥à¤® हà¥à¤† था। उनके दो और छोटे à¤à¤¾à¤ˆ थे- चितà¥à¤°à¤¾à¤‚गद और विचितà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¨à¥à¤¯à¥¤ उनका जनà¥à¤® शांतनॠसे सतà¥à¤¯à¤µà¤¤à¥€ के गरà¥à¤ से हà¥à¤† था। शांतनॠके जाने के बाद à¤à¥€à¤·à¥à¤® अविवाहित रहे और अपने à¤à¤¾à¤ˆ विचितà¥à¤°à¤µà¥€à¤°à¥à¤¯ के राजà¥à¤¯ का पालन किया: चितà¥à¤°à¤¾à¤‚गद को बचपन में ही चितà¥à¤°à¤¾à¤‚गद नामक गंधरà¥à¤µ जाति के लोगों ने मार डाला था। फिर à¤à¥€à¤·à¥à¤® संगà¥à¤°à¤¾à¤® में विपकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को परासà¥à¤¤ कर वे काशीराज की दो पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚- अमà¥à¤¬à¤¿à¤•à¤¾ और अंबालिका को वापस ले आà¤à¥¤ दोनों विचितà¥à¤°à¤µà¥€à¤°à¥à¤¯ की पतà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बनीं। कà¥à¤› समय के बाद राजयकà¥à¤·à¥à¤®à¤¾ के कारण राजा विचितà¥à¤°à¤µà¥€à¤°à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥à¤—वासी हो गà¤à¥¤ तब अमà¥à¤¬à¤¿à¤•à¤¾ के गरà¥à¤ से राजा धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° और अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¿à¤•à¤¾ के गरà¥à¤ से पांडॠका जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° ने गांधारी के गरà¥à¤ से सौ पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को जनà¥à¤® दिया, जिनमें दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ सबसे बड़ा था और पांडॠके यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤°, à¤à¥€à¤®, अरà¥à¤œà¥à¤¨, नकà¥à¤², सहदेव आदि पांच पà¥à¤¤à¥à¤° थे। धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° जनà¥à¤® से अंधे थे, इसलिठपांडॠने उनका सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ लिया। धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° को राजा बनाया गया, इस कारण धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° हमेशा अपने अंधेपन पर कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ रहने लगे और पांडॠके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घृणा करने लगे। पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ को जीतकर पांडॠने कà¥à¤°à¥ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की सीमाओं को यवनों के देश तक बढ़ा दिया था। à¤à¤• बार राजा पांडॠअपनी दोनों पतà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ कà¥à¤‚ती और मादà¥à¤°à¥€ के साथ शिकार के लिठवन में गà¤à¥¤ वहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मृगों का à¤à¤• जोड़ा देखा। पांडॠने तà¥à¤°à¤‚त अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। कà¥à¤› समय बाद जब मृग मर गया। तब पांडॠको पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¤¾à¤ª हà¥à¤†à¥¤ तब राजा पाणà¥à¤¡à¥ ने कहा- मैं सब वासनाओं को तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर इस वन में रहूà¤à¤—ा, तà¥à¤® लोग हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° लौट जाओ। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ बिना हम à¤à¤• पल à¤à¥€ जीवित नहीं रह सकते। कृपया हमें अपने साथ वन में रखिà¤à¥¤" पांडॠने उनके अनà¥à¤°à¥‹à¤§ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने साथ वन में रहने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ दे दी। à¤à¤• दिन राजा पांडॠमादà¥à¤°à¥€ के साथ सरिता नदी के तट पर जंगल में यातà¥à¤°à¤¾ कर रहे थे। वातावरण बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤–द था और शीतल, शीतल और सà¥à¤—नà¥à¤§à¤¿à¤¤ वायॠचल रही थी। à¤à¤•à¤¾à¤à¤• वायॠके à¤à¥‹à¤‚के ने मादà¥à¤°à¥€ के वसà¥à¤¤à¥à¤° उड़ा दिये। इससे पांडॠका मन चंचल हो गया और वे संà¤à¥‹à¤— में लिपà¥à¤¤ हो गये। बहà¥à¤¤ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बाद उनके पाà¤à¤š पà¥à¤¤à¥à¤° हà¥à¤à¥¤ कà¥à¤› दिनों के बाद उदासी के कारण उनकी मृतà¥à¤¯à¥ हो गई। , चिंता और बीमारी। मादà¥à¤°à¥€ ने उसके साथ सती की लेकिन कà¥à¤‚ती पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को पालने के लिठहसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° लौट आई। कहा जाने पर, सà¤à¥€ ने पांडवों को पांडॠके पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया और उनका सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। जब कà¥à¤‚ती का विवाह नहीं हà¥à¤† था, उसी समय करà¥à¤£ था उसकी कोख से राजा सूरà¥à¤¯ ने जनà¥à¤® लिया था। लेकिन लोक लाज के डर से कà¥à¤‚ती ने करà¥à¤£ को à¤à¤• डिबà¥à¤¬à¥‡ में बंद कर गंगा नदी में फेंक दिया। करà¥à¤£ गंगा में बह रहा था तà¤à¥€ महाराज धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के सारथी अधिरथ और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ राधा ने उसे देखा और उसे गोद लिया और चल दिà¤à¥¤ उसकी देखà¤à¤¾à¤² करना। छोटी उमà¥à¤° से ही करà¥à¤£ को अपने पिता अधिरथ की तरह रथ चलाने की बजाय यà¥à¤¦à¥à¤§ कला में अधिक रà¥à¤šà¤¿ थी। करà¥à¤£ और उनके पिता अधिरथ की मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ से हà¥à¤ˆ जो उस समय यà¥à¤¦à¥à¤§ कला के सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• थे। दà¥à¤°à¥‹à¤£à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ उस समय कà¥à¤°à¥ राजकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ दिया करते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने करà¥à¤£ को शिकà¥à¤·à¤¾ देने से मना कर दिया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि करà¥à¤£ à¤à¤• सारथी का पà¥à¤¤à¥à¤° था और दà¥à¤°à¥‹à¤£ केवल कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ देते थे। दà¥à¤°à¥‹à¤£à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ की असहमति के बाद, करà¥à¤£ ने परशà¥à¤°à¤¾à¤® से संपरà¥à¤• किया जो केवल बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ देते थे। करà¥à¤£ ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ बताते हà¥à¤ परशà¥à¤°à¤¾à¤® से शिकà¥à¤·à¤¾ की याचना की। परशà¥à¤°à¤¾à¤® ने करà¥à¤£ के अनà¥à¤°à¥‹à¤§ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया और काम को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की तरह यà¥à¤¦à¥à¤§ कला और धनà¥à¤°à¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ दिया। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° करà¥à¤£ परशà¥à¤°à¤¾à¤® का à¤à¤• बहà¥à¤¤ मेहनती और निपà¥à¤£ शिषà¥à¤¯ बन गया। करà¥à¤£ दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की शरण में रहता था। दैयोग और शकà¥à¤¨à¤¿ के विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤˜à¤¾à¤¤ के कारण कौरवों और पांडवों के बीच शतà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ की आग à¤à¤¡à¤¼à¤• उठी। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ बहà¥à¤¤ ही कà¥à¤¶à¤¾à¤—à¥à¤° बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ था। शकà¥à¤¨à¤¿ के कहने पर उसने बचपन में कई बार पांडवों को मारने की कोशिश की। जब यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर, जो गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में उनसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ थे, को यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में यà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ बनाया गया था, तब शकà¥à¤¨à¤¿ ने पांडवों को लकà¥à¤· के बने घर में रखकर आग लगाने की कोशिश की, लेकिन विदà¥à¤° की मदद से पांचों पांडवों सहित उनकी माठउस जलते हà¥à¤ घर से à¤à¤¾à¤— निकली। वहां से निकलकर à¤à¤•à¤šà¤•à¥à¤° नगरी में जाकर साधॠके वेश में à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ के घर में रहने लगा। फिर बक नाम के दà¥à¤·à¥à¤Ÿ और पापी का वध करके वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी की सलाह पर वे पांचाल-राजà¥à¤¯ में गà¤, जहां दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ का सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर होने वाला था। पंचाल के राजà¥à¤¯ में, पांचों पांडवों ने दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ को अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जब अरà¥à¤œà¥à¤¨ के लकà¥à¤·à¥à¤¯-à¤à¥‡à¤¦à¥€ कौशल में गड़बड़ हो गई। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ के सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर से पहले विदà¥à¤° को छोड़कर सà¤à¥€ पांडवों को मृत मान लिया गया था और इसी वजह से धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° ने शकà¥à¤¨à¤¿ के कहने पर दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ को यà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ बना दिया था। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर के बाद, दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ आदि को पांडवों के जीवित रहने के बारे में पता चला: पांडवों ने कौरवों से अपना राजà¥à¤¯ मांगा, लेकिन गृहयà¥à¤¦à¥à¤§ के खतरे से बचने के लिà¤, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने खंडवन को कौरवों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खंडहर में दिठगठराजà¥à¤¯ के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। पांडà¥à¤•à¥à¤®à¤¾à¤° अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने खांडवन को जलाया। शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ के साथ वहाठअरà¥à¤œà¥à¤¨ और कृषà¥à¤£ जी ने सà¤à¥€ देवताओं को यà¥à¤¦à¥à¤§ में हरा दिया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यà¥à¤¦à¥à¤§ में à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ रूपी सारथी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ इंदà¥à¤° के कहने पर विशà¥à¤µà¤•à¤°à¥à¤®à¤¾ और माया ने मिलकर खंडवन को इंदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ के समान à¤à¤µà¥à¤¯ नगर के रूप में बसाया, जिसका नाम इंदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ रखा गया। सà¤à¥€ पांडव सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में निपà¥à¤£ थे। पांडवों ने सà¤à¥€ दिशाओं पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ली और यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर शासन करने लगे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤°à¤¾ में सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ से à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ राजसूय यजà¥à¤ž का अनà¥à¤·à¥à¤ ान किया। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ के लिठउसका पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª असहà¥à¤¯ हो गया। वह अपने à¤à¤¾à¤ˆ दà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ और महिमा के पà¥à¤¤à¥à¤° करà¥à¤£ के कहने पर शकà¥à¤¨à¤¿ को अपने साथ ले गया, दà¥à¤¯à¥‚त सà¤à¤¾ में जà¥à¤ में लिपà¥à¤¤ हो गया, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर, उसके à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚, दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ और उनके राजà¥à¤¯ को छल और जà¥à¤ के माधà¥à¤¯à¤® से हंसते-हंसते जीत लिया। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ ने कà¥à¤°à¥ राजà¥à¤¯ सà¤à¤¾ में दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ का बहà¥à¤¤ अपमान किया, उसका निरà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥à¤° करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने उसकी लाज बचाई, उसके बाद दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ सà¤à¥€ को शà¥à¤°à¤¾à¤ª देने वाली थी लेकिन गांधारी ने आकर à¤à¤¸à¤¾ होने से रोक दिया। उसी समय जà¥à¤ में हारकर यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर अपने à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ वन को चले गà¤à¥¤ वहाठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी मनà¥à¤¨à¤¤ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बारह वरà¥à¤· बिताà¤à¥¤ वह पहले की तरह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ वन में बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¥‹à¤œà¤¨ कराता था। वहाठउनके साथ उनकी पतà¥à¤¨à¥€ दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ और पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ धौमà¥à¤¯à¤œà¥€ à¤à¥€ थे। बारहवां वरà¥à¤· पास करने के बाद वे विराट नगर चले गà¤à¥¤ वहाठयà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर 'कंक' नाम के à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ के रूप में रहने लगे, जो अधिकांश के लिठअजà¥à¤žà¤¾à¤¤ था। à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ रसोइठबने। अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने अपना नाम 'बृहनà¥à¤¨à¤¾à¤²à¤¾ पांडव पतà¥à¤¨à¥€ दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€' सैरंधà¥à¤°à¥€ के रूप में रनिवास में रहने लगा, इसी तरह नकà¥à¤²-सहदेव ने à¤à¥€ अपना नाम बदल लिया। à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ ने कीचक को मार डाला जो रात में दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ लेना चाहता था। उसके बाद कौरव विराट की गायों को ले जाने लगे, तब वे अरà¥à¤œà¥à¤¨ से हार गà¤à¥¤ उस समय कौरवों ने पांडवों को पहचान लिया, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की बहन सà¥à¤à¤¦à¥à¤°à¤¾ ने अरà¥à¤œà¥à¤¨ से अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥ नाम के à¤à¤• पà¥à¤¤à¥à¤° को जनà¥à¤® दिया, राजा विराट ने उनकी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ धरà¥à¤®à¤°à¤¾à¤œ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर के साथ सात अकà¥à¤·à¥Œà¤¹à¤¿à¤£à¥€ सेना के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ होने के कारण कौरवों से यà¥à¤¦à¥à¤§ करने के लिठतैयार हो गà¤à¥¤ सबसे पहले à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ सबसे कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ के पास दूत के रूप में गà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ अकà¥à¤·à¥Œà¤¹à¤¿à¤£à¥€ सेना के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ राजा दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ से कहा राजनॠ! तà¥à¤® यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर को आधा राजà¥à¤¯ दो या उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ केवल पाà¤à¤š गाà¤à¤µ ही दो: अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ उनसे यà¥à¤¦à¥à¤§ करो।" शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की बात सà¥à¤¨à¤•à¤° दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ ने कहा - 'मैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤ˆ की नोक के बराबर à¤à¥€ जमीन नहीं दूंगा, हां, मैं जरूर दूंगा। उनके साथ यà¥à¤¦à¥à¤§ किया। तब विदà¥à¤° ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने घर ले जाकर शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की पूजा की और उनका समà¥à¤®à¤¾à¤¨ किया। इसके बाद वे यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर के पास लौट आठऔर कहा- महाराज! आप दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ से यà¥à¤¦à¥à¤§ करें। यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर और दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की सेना कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के मैदान में गई। शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ को देखकर उनके विरोध में पितामह à¤à¥€à¤·à¥à¤® और आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ की तरह अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने लड़ना बंद कर दिया, तब à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ ने उनसे कहा "पारà¥à¤¥à¤² à¤à¥€à¤·à¥à¤® आदि शिकà¥à¤·à¤• शोक के योगà¥à¤¯ नहीं हैं।" " शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के कहने पर अरà¥à¤œà¥à¤¨ यà¥à¤¦à¥à¤§ में उतर गया और यà¥à¤¦à¥à¤§ करने लगा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शंख बजाया। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की सेना में à¤à¥€à¤·à¥à¤® पà¥à¤°à¤¥à¤® सेनापति बने। पांडवों का सेनापति। शिखंडी था। इन दोनों में घोर यà¥à¤¦à¥à¤§ छिड़ गया। उस यà¥à¤¦à¥à¤§ में à¤à¥€à¤·à¥à¤® सहित कौरव पकà¥à¤· के योदà¥à¤§à¤¾ पांडव-पकà¥à¤· के सैनिकों पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ करने लगे और शिखंडी आदि पांडव-पकà¥à¤· के वीर कौरव-सैनिकों पर अपने बाणों का निशाना लगाने लगे। कौरवों और पांडवों की सेना का वह संगà¥à¤°à¤¾à¤® देवासà¥à¤°-लड़ाई जैसा पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहा था। à¤à¥€à¤·à¥à¤® ने दस दिनों तक यà¥à¤¦à¥à¤§ किया और अपने बाणों से अधिकांश पांडव सेना को मार डाला। दसवें दिन, अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने वीरवर à¤à¥€à¤·à¥à¤® पर बाणों की à¤à¤¾à¤°à¥€ वरà¥à¤·à¤¾ की। इधर दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¦ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से शिखंडी ने à¤à¥€ à¤à¥€à¤·à¥à¤® पर बाणों की वरà¥à¤·à¤¾ की, जैसे बादल पानी बरसाता है। दोनों ओर के हाथीसवार, घà¥à¤¡à¤¼à¤¸à¤µà¤¾à¤°, सारथी और पà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥‡ à¤à¤• दूसरे के बाणों से मारे गà¤à¥¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के दसवें दिन अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने शिखंडी को अपने रथ के आगे बिठाया। शिखंडी को आगे देखकर à¤à¥€à¤·à¥à¤® ने धनà¥à¤· तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिया। अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने शसà¥à¤¤à¥à¤° तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बाणों की शयà¥à¤¯à¤¾ पर सà¥à¤²à¤¾ दिया। वे उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करते हà¥à¤ à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करते हà¥à¤ समय वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने लगे। जब à¤à¥€à¤·à¥à¤® के बाण-शयà¥à¤¯à¤¾ पर गिरने से दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ शोक से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² हो गया, तब आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ ने सेना की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ संà¤à¤¾à¤²à¥€à¥¤ दूसरी ओर, धृषà¥à¤Ÿà¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ आननà¥à¤¦à¤¿à¤¤ होकर पांडवों की सेना के सेनापति बन गà¤à¥¤ दोनों में घोर यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤ राजा विराट और दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¦ आदि दà¥à¤°à¥‹à¤£ रूपी समà¥à¤¦à¥à¤° में डूब गà¤à¥¤ उस समय दà¥à¤°à¥‹à¤£ काल की तरह रहते थे। इसी बीच उसके कानों में आवाज आई कि 'अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ मारा गया है। यह सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ ने अपने असà¥à¤¤à¥à¤°-शसà¥à¤¤à¥à¤° तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिये। à¤à¤¸à¥‡ समय धृषà¥à¤Ÿà¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ के बाणों से आहत होकर वह पृथà¥à¤µà¥€ पर गिर पड़ा। दà¥à¤°à¥‹à¤£ बड़े ही दà¥à¤°à¥à¤§à¤°à¥à¤· थे। पाà¤à¤šà¤µà¥‡à¤‚ दिन सà¤à¥€ कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का नाश करने के बाद वह मारा गया दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ फिर शोक से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² हो उठा। उस समय करà¥à¤£ अपनी सेना का कपà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बना: अरà¥à¤œà¥à¤¨ को पांडव सेना की सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤šà¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ करà¥à¤£ और अरà¥à¤œà¥à¤¨ के पास à¤à¤• था नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के असà¥à¤¤à¥à¤°-शसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ महासंगà¥à¤°à¤¾à¤®, जो देवासà¥à¤° संगà¥à¤°à¤¾à¤® को à¤à¥€ मात देने वाला था। करà¥à¤£ और अरà¥à¤œà¥à¤¨ के यà¥à¤¦à¥à¤§ में करà¥à¤£ ने अपने बाणों से शतà¥à¤°à¥ पकà¥à¤· के अनेक वीरों को मार गिराया; हालाà¤à¤•à¤¿ यà¥à¤¦à¥à¤§ गतिरोध होता जा रहा था, करà¥à¤£ उस समय लड़खड़ा गया जब उसके रथ का à¤à¤• पहिया धरती में धà¤à¤¸ गया (धरती माता के शà¥à¤°à¤¾à¤ª के कारण)। वह अपने गà¥à¤°à¥ परशà¥à¤°à¤¾à¤® दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शापित होने के कारण खà¥à¤¦ को दैवीय हथियारों का उपयोग करने में असमरà¥à¤¥ पाता है। तब करà¥à¤£ अपने रथ का पहिया निकालने के लिठनीचे उतरता है और अरà¥à¤œà¥à¤¨ से यà¥à¤¦à¥à¤§ के नियमों का पालन करने और कà¥à¤› समय के लिठउस पर तीर चलाना बंद करने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ करता है। तब शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ अरà¥à¤œà¥à¤¨ से कहते हैं कि करà¥à¤£ को अब यà¥à¤¦à¥à¤§ नियम और धरà¥à¤® की बात करने का कोई अधिकार नहीं है, जबकि उसने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥ के वध के समय किसी यà¥à¤¦à¥à¤§ नियम और धरà¥à¤® का पालन नहीं किया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आगे कहा कि उनका धरà¥à¤® तब कहाठथा जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दिवà¥à¤¯ जनà¥à¤® दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ को पूरी कà¥à¤°à¥ राजसà¤à¤¾ के सामने वेशà¥à¤¯à¤¾ कहा था। गेमिंग हॉल में उनका धरà¥à¤® कहाठगया? इसलिठअब उसे किसी à¤à¥€ धरà¥à¤® या यà¥à¤¦à¥à¤§ नियम की बात करने का अधिकार नहीं रहा और उसने अरà¥à¤œà¥à¤¨ से कहा कि कामना अब असहाय है (बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ का शà¥à¤°à¤¾à¤ª फलित हà¥à¤†) इसलिठउसे उसे मार देना चाहिà¤à¥¤ शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ कहते हैं कि यदि अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने इस निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• मोड़ पर करà¥à¤£ को नहीं मारा तो शायद पांडव उसे कà¤à¥€ नहीं मार पाà¤à¤‚गे और यह यà¥à¤¦à¥à¤§ कà¤à¥€ नहीं जीता जा सकेगा। फिर, अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने à¤à¤• हथियार का उपयोग करके करà¥à¤£ को मार डाला। करà¥à¤£ के शरीर के जमीन पर गिर जाने के बाद, राजा शलà¥à¤¯ कौरव सेना के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सेनापति बने, लेकिन वे यà¥à¤¦à¥à¤§ में केवल आधे दिन ही रह सके। दोपहर तक राजा यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने उसका वध कर दिया। यà¥à¤¦à¥à¤§ में दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की लगà¤à¤— पूरी सेना मारी गई थी। अंततः उसका à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ से यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤ उसने पांडव पकà¥à¤· के कई सैनिकों को मारने के बाद à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ किया। उस समय दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ के अनà¥à¤¯ छोटे à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ ने गदा से पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करते हà¥à¤ मार डाला। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के उस अठारहवें दिन, रात के समय, पराकà¥à¤°à¤®à¥€ अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ ने पांडवों की सोई हà¥à¤ˆ अकà¥à¤·à¥Œà¤¹à¤¿à¤£à¥€ सेना को हमेशा के लिठसà¥à¤²à¤¾ दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ के पांच पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚, उनके पांचालदेशी à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ और धृषà¥à¤Ÿà¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ को à¤à¥€ जीवित नहीं छोड़ा। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ निःसंतान होकर रोने लगी। तब अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने सींक के असà¥à¤¤à¥à¤° से अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ को हरा दिया। उसे मारा जाता देख दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अनà¥à¤¨à¤¯-विनय कर अपनी जान बचाई। अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ ने इसके बावजूद उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ की कोख नषà¥à¤Ÿ करने के लिठदà¥à¤·à¥à¤Ÿ अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ ने उस पर à¤à¤• असà¥à¤¤à¥à¤° का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया। लेकिन शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने उसे बचा लिया। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ की वही अजनà¥à¤®à¥€ संतान बाद में राजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ कृतवरà¥à¤®à¤¾, कृपाचारà¥à¤¯ और अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾- ये तीनों कौरव पकà¥à¤· के वीर उस यà¥à¤¦à¥à¤§ में जीवित बच गà¤à¥¤ दूसरी ओर पाà¤à¤š पांडव, सातà¥à¤¯à¤•à¤¿ और à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ - केवल ये सात ही जीवित रह सके; दूसरे कोई नहीं बचे। उस समय अनाथ महिलाओं की चीखें हर तरफ फैल रही थीं। à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ आदि à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ जाकर यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सांतà¥à¤µà¤¨à¤¾ दी और यà¥à¤¦à¥à¤§à¤à¥‚मि में मारे गठसà¤à¥€ वीरों का दाह संसà¥à¤•à¤¾à¤° कर उनके लिठजलांजलि दे धन आदि का दान किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में शरशयà¥à¤¯à¤¾ पर विराजमान शांतनà¥à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¨ à¤à¥€à¤·à¥à¤® के पास गये और उनसे समसà¥à¤¤ शांतिदायक धरà¥à¤®, राजधरà¥à¤® (अपधरà¥à¤®), मोकà¥à¤·à¤§à¤°à¥à¤® और दंडधरà¥à¤® को सà¥à¤¨à¤¾à¥¤ फिर वह गदà¥à¤¦à¥€ पर बैठा। इसके बाद उस शतà¥à¤°à¥à¤®à¤°à¥à¤¦à¤¨ राजा ने अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤˜ यजà¥à¤ž किया और उसमें बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को बहà¥à¤¤ सा धन दान किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ महामारी के कारण अरà¥à¤œà¥à¤¨ के मà¥à¤– से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ शà¥à¤°à¤¾à¤ª के कारण आपसी यà¥à¤¦à¥à¤§ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यादवों के विनाश का समाचार सà¥à¤¨à¤•à¤° यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ को राजा के आसन पर बिठाया और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बड़ी विदा करके अपने à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ चले गà¤à¥¤ जब यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर सिंहासन पर बैठे। तब धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° गृहसà¥à¤¥-आशà¥à¤°à¤® से वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥-आशà¥à¤°à¤® में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर वन में चले गà¤à¥¤ (या वह ऋषियों के à¤à¤• आशà¥à¤°à¤® से दूसरे आशà¥à¤°à¤® में जाते समय जंगल में चला गया) उसके साथ देवी गांधारी और पृथा (कà¥à¤‚ती) थीं। विदà¥à¤° जी आग से à¤à¥à¤²à¤¸ गà¤à¥¤ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥€ ने पांडवों को धरà¥à¤® की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ और अधरà¥à¤® के विनाश का निमितà¥à¤¤ बनाकर पृथà¥à¤µà¥€ के à¤à¤¾à¤° को दूर किया और राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚ आदि का संहार किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ à¤à¥‚मिका का à¤à¤¾à¤° बढ़ाने वाले यादव कà¥à¤² को à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ के शà¥à¤°à¤¾à¤ª के बहाने मूसल से मार डाला गया। अनिरà¥à¤¦à¥à¤§ के पà¥à¤¤à¥à¤° वजà¥à¤° को राजा के रूप में अà¤à¤¿à¤·à¤¿à¤•à¥à¤¤ किया गया था। अविनाशी शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¸à¥à¤¥ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के लकà¥à¤·à¥à¤¯ हैं। जब उनका निधन हो गया, तो समà¥à¤¦à¥à¤° ने अपना वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त निवास छोड़ दिया और शेष दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤ªà¥à¤°à¥€ को अपने जल में डà¥à¤¬à¥‹ दिया। अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने मृत यादवों का अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° किया और उनके लिठजल चढ़ाया और धन आदि का दान à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की रानियों को दिया, जो पहले अपà¥à¤¸à¤°à¤¾à¤à¤ थीं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° ले चलो। रासà¥à¤¤à¥‡ में अरà¥à¤œà¥à¤¨ का अनादर करते हà¥à¤ लाठियों से लदे गà¥à¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ ने उन सबको छीन लिया। इससे अरà¥à¤œà¥à¤¨ के हृदय में बड़ा शोक हà¥à¤†à¥¤ तब महरà¥à¤·à¤¿ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के सानà¥à¤¤à¥à¤µà¤¨à¤¾ देने पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हो गया कि शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के समीप होने के कारण ही मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ बल है। हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° आकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ सहित राजा यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर से यह सब समाचार निवेदन किया, जो उस समय पà¥à¤°à¤œà¤¾ का पालन करते थे। वे बोले- 'à¤à¤¾à¤ˆ! वही धनà¥à¤· है, वही बाण है, वही रथ है और वह घोड़ा है, लेकिन शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ के बिना सब कà¥à¤› नषà¥à¤Ÿ हो जाता है जैसे कि असà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ को दिया गया दान। यह सà¥à¤¨à¤•à¤° धरà¥à¤®à¤°à¤¾à¤œ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ को राजà¥à¤¯ पर सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया। इसके बाद संसार की नशà¥à¤µà¤°à¤¤à¤¾ का विचार करते हà¥à¤ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ राजा दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ और उनके à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को साथ लेकर हिमालय की ओर महान पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ के मारà¥à¤— पर चल पड़े। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€, सहदेव, नकà¥à¤², अरà¥à¤œà¥à¤¨ और à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ à¤à¤•-à¤à¤• करके उस महान मारà¥à¤— में गिर पड़े। इससे राजा शोकमगà¥à¤¨ हो गये।
पाणà¥à¤¡à¤µ और कौरव (à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• कहानी)
पेरू के राजवंश में à¤à¤°à¤¤ थे और à¤à¤°à¤¤ के परिवार में राजा कà¥à¤°à¥ थे। शांतनॠका जनà¥à¤® कà¥à¤°à¥ वंश में हà¥à¤† था। शांतनॠसे गंगनंदन à¤à¥€à¤·à¥à¤® का जनà¥à¤® हà¥à¤† था। उनके दो और छोटे à¤à¤¾à¤ˆ थे- चितà¥à¤°à¤¾à¤‚गद और विचितà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¨à¥à¤¯à¥¤ उनका जनà¥à¤® शांतनॠसे सतà¥à¤¯à¤µà¤¤à¥€ के गरà¥à¤ से हà¥à¤† था। शांतनॠके जाने के बाद à¤à¥€à¤·à¥à¤® अविवाहित रहे और अपने à¤à¤¾à¤ˆ विचितà¥à¤°à¤µà¥€à¤°à¥à¤¯ के राजà¥à¤¯ का पालन किया: चितà¥à¤°à¤¾à¤‚गद को बचपन में ही चितà¥à¤°à¤¾à¤‚गद नामक गंधरà¥à¤µ जाति के लोगों ने मार डाला था। फिर à¤à¥€à¤·à¥à¤® संगà¥à¤°à¤¾à¤® में विपकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को परासà¥à¤¤ कर वे काशीराज की दो पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚- अमà¥à¤¬à¤¿à¤•à¤¾ और अंबालिका को वापस ले आà¤à¥¤ दोनों विचितà¥à¤°à¤µà¥€à¤°à¥à¤¯ की पतà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बनीं। कà¥à¤› समय के बाद राजयकà¥à¤·à¥à¤®à¤¾ के कारण राजा विचितà¥à¤°à¤µà¥€à¤°à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥à¤—वासी हो गà¤à¥¤ तब अमà¥à¤¬à¤¿à¤•à¤¾ के गरà¥à¤ से राजा धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° और अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¿à¤•à¤¾ के गरà¥à¤ से पांडॠका जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° ने गांधारी के गरà¥à¤ से सौ पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को जनà¥à¤® दिया, जिनमें दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ सबसे बड़ा था और पांडॠके यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤°, à¤à¥€à¤®, अरà¥à¤œà¥à¤¨, नकà¥à¤², सहदेव आदि पांच पà¥à¤¤à¥à¤° थे। धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° जनà¥à¤® से अंधे थे, इसलिठपांडॠने उनका सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ लिया। धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° को राजा बनाया गया, इस कारण धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° हमेशा अपने अंधेपन पर कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ रहने लगे और पांडॠके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घृणा करने लगे। पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ को जीतकर पांडॠने कà¥à¤°à¥ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की सीमाओं को यवनों के देश तक बढ़ा दिया था। à¤à¤• बार राजा पांडॠअपनी दोनों पतà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ कà¥à¤‚ती और मादà¥à¤°à¥€ के साथ शिकार के लिठवन में गà¤à¥¤ वहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मृगों का à¤à¤• जोड़ा देखा। पांडॠने तà¥à¤°à¤‚त अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। कà¥à¤› समय बाद जब मृग मर गया। तब पांडॠको पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¤¾à¤ª हà¥à¤†à¥¤ तब राजा पाणà¥à¤¡à¥ ने कहा- मैं सब वासनाओं को तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर इस वन में रहूà¤à¤—ा, तà¥à¤® लोग हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° लौट जाओ। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ बिना हम à¤à¤• पल à¤à¥€ जीवित नहीं रह सकते। कृपया हमें अपने साथ वन में रखिà¤à¥¤" पांडॠने उनके अनà¥à¤°à¥‹à¤§ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने साथ वन में रहने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ दे दी। à¤à¤• दिन राजा पांडॠमादà¥à¤°à¥€ के साथ सरिता नदी के तट पर जंगल में यातà¥à¤°à¤¾ कर रहे थे। वातावरण बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤–द था और शीतल, शीतल और सà¥à¤—नà¥à¤§à¤¿à¤¤ वायॠचल रही थी। à¤à¤•à¤¾à¤à¤• वायॠके à¤à¥‹à¤‚के ने मादà¥à¤°à¥€ के वसà¥à¤¤à¥à¤° उड़ा दिये। इससे पांडॠका मन चंचल हो गया और वे संà¤à¥‹à¤— में लिपà¥à¤¤ हो गये। बहà¥à¤¤ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बाद उनके पाà¤à¤š पà¥à¤¤à¥à¤° हà¥à¤à¥¤ कà¥à¤› दिनों के बाद उदासी के कारण उनकी मृतà¥à¤¯à¥ हो गई। , चिंता और बीमारी। मादà¥à¤°à¥€ ने उसके साथ सती की लेकिन कà¥à¤‚ती पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को पालने के लिठहसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° लौट आई। कहा जाने पर, सà¤à¥€ ने पांडवों को पांडॠके पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया और उनका सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। जब कà¥à¤‚ती का विवाह नहीं हà¥à¤† था, उसी समय करà¥à¤£ था उसकी कोख से राजा सूरà¥à¤¯ ने जनà¥à¤® लिया था। लेकिन लोक लाज के डर से कà¥à¤‚ती ने करà¥à¤£ को à¤à¤• डिबà¥à¤¬à¥‡ में बंद कर गंगा नदी में फेंक दिया। करà¥à¤£ गंगा में बह रहा था तà¤à¥€ महाराज धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के सारथी अधिरथ और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ राधा ने उसे देखा और उसे गोद लिया और चल दिà¤à¥¤ उसकी देखà¤à¤¾à¤² करना। छोटी उमà¥à¤° से ही करà¥à¤£ को अपने पिता अधिरथ की तरह रथ चलाने की बजाय यà¥à¤¦à¥à¤§ कला में अधिक रà¥à¤šà¤¿ थी। करà¥à¤£ और उनके पिता अधिरथ की मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ से हà¥à¤ˆ जो उस समय यà¥à¤¦à¥à¤§ कला के सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• थे। दà¥à¤°à¥‹à¤£à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ उस समय कà¥à¤°à¥ राजकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ दिया करते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने करà¥à¤£ को शिकà¥à¤·à¤¾ देने से मना कर दिया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि करà¥à¤£ à¤à¤• सारथी का पà¥à¤¤à¥à¤° था और दà¥à¤°à¥‹à¤£ केवल कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ देते थे। दà¥à¤°à¥‹à¤£à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ की असहमति के बाद, करà¥à¤£ ने परशà¥à¤°à¤¾à¤® से संपरà¥à¤• किया जो केवल बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ देते थे। करà¥à¤£ ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ बताते हà¥à¤ परशà¥à¤°à¤¾à¤® से शिकà¥à¤·à¤¾ की याचना की। परशà¥à¤°à¤¾à¤® ने करà¥à¤£ के अनà¥à¤°à¥‹à¤§ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया और काम को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की तरह यà¥à¤¦à¥à¤§ कला और धनà¥à¤°à¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ दिया। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° करà¥à¤£ परशà¥à¤°à¤¾à¤® का à¤à¤• बहà¥à¤¤ मेहनती और निपà¥à¤£ शिषà¥à¤¯ बन गया। करà¥à¤£ दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की शरण में रहता था। दैयोग और शकà¥à¤¨à¤¿ के विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤˜à¤¾à¤¤ के कारण कौरवों और पांडवों के बीच शतà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ की आग à¤à¤¡à¤¼à¤• उठी। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ बहà¥à¤¤ ही कà¥à¤¶à¤¾à¤—à¥à¤° बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ था। शकà¥à¤¨à¤¿ के कहने पर उसने बचपन में कई बार पांडवों को मारने की कोशिश की। जब यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर, जो गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में उनसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ थे, को यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में यà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ बनाया गया था, तब शकà¥à¤¨à¤¿ ने पांडवों को लकà¥à¤· के बने घर में रखकर आग लगाने की कोशिश की, लेकिन विदà¥à¤° की मदद से पांचों पांडवों सहित उनकी माठउस जलते हà¥à¤ घर से à¤à¤¾à¤— निकली। वहां से निकलकर à¤à¤•à¤šà¤•à¥à¤° नगरी में जाकर साधॠके वेश में à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ के घर में रहने लगा। फिर बक नाम के दà¥à¤·à¥à¤Ÿ और पापी का वध करके वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी की सलाह पर वे पांचाल-राजà¥à¤¯ में गà¤, जहां दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ का सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर होने वाला था। पंचाल के राजà¥à¤¯ में, पांचों पांडवों ने दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ को अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जब अरà¥à¤œà¥à¤¨ के लकà¥à¤·à¥à¤¯-à¤à¥‡à¤¦à¥€ कौशल में गड़बड़ हो गई। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ के सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर से पहले विदà¥à¤° को छोड़कर सà¤à¥€ पांडवों को मृत मान लिया गया था और इसी वजह से धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° ने शकà¥à¤¨à¤¿ के कहने पर दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ को यà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ बना दिया था। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर के बाद, दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ आदि को पांडवों के जीवित रहने के बारे में पता चला: पांडवों ने कौरवों से अपना राजà¥à¤¯ मांगा, लेकिन गृहयà¥à¤¦à¥à¤§ के खतरे से बचने के लिà¤, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने खंडवन को कौरवों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खंडहर में दिठगठराजà¥à¤¯ के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। पांडà¥à¤•à¥à¤®à¤¾à¤° अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने खांडवन को जलाया। शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ के साथ वहाठअरà¥à¤œà¥à¤¨ और कृषà¥à¤£ जी ने सà¤à¥€ देवताओं को यà¥à¤¦à¥à¤§ में हरा दिया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यà¥à¤¦à¥à¤§ में à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ रूपी सारथी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ इंदà¥à¤° के कहने पर विशà¥à¤µà¤•à¤°à¥à¤®à¤¾ और माया ने मिलकर खंडवन को इंदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ के समान à¤à¤µà¥à¤¯ नगर के रूप में बसाया, जिसका नाम इंदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ रखा गया। सà¤à¥€ पांडव सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में निपà¥à¤£ थे। पांडवों ने सà¤à¥€ दिशाओं पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ली और यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर शासन करने लगे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤°à¤¾ में सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ से à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ राजसूय यजà¥à¤ž का अनà¥à¤·à¥à¤ ान किया। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ के लिठउसका पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª असहà¥à¤¯ हो गया। वह अपने à¤à¤¾à¤ˆ दà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ और महिमा के पà¥à¤¤à¥à¤° करà¥à¤£ के कहने पर शकà¥à¤¨à¤¿ को अपने साथ ले गया, दà¥à¤¯à¥‚त सà¤à¤¾ में जà¥à¤ में लिपà¥à¤¤ हो गया, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर, उसके à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚, दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ और उनके राजà¥à¤¯ को छल और जà¥à¤ के माधà¥à¤¯à¤® से हंसते-हंसते जीत लिया। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ ने कà¥à¤°à¥ राजà¥à¤¯ सà¤à¤¾ में दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ का बहà¥à¤¤ अपमान किया, उसका निरà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥à¤° करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने उसकी लाज बचाई, उसके बाद दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ सà¤à¥€ को शà¥à¤°à¤¾à¤ª देने वाली थी लेकिन गांधारी ने आकर à¤à¤¸à¤¾ होने से रोक दिया। उसी समय जà¥à¤ में हारकर यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर अपने à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ वन को चले गà¤à¥¤ वहाठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी मनà¥à¤¨à¤¤ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बारह वरà¥à¤· बिताà¤à¥¤ वह पहले की तरह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ वन में बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¥‹à¤œà¤¨ कराता था। वहाठउनके साथ उनकी पतà¥à¤¨à¥€ दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ और पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ धौमà¥à¤¯à¤œà¥€ à¤à¥€ थे। बारहवां वरà¥à¤· पास करने के बाद वे विराट नगर चले गà¤à¥¤ वहाठयà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर 'कंक' नाम के à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ के रूप में रहने लगे, जो अधिकांश के लिठअजà¥à¤žà¤¾à¤¤ था। à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ रसोइठबने। अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने अपना नाम 'बृहनà¥à¤¨à¤¾à¤²à¤¾ पांडव पतà¥à¤¨à¥€ दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€' सैरंधà¥à¤°à¥€ के रूप में रनिवास में रहने लगा, इसी तरह नकà¥à¤²-सहदेव ने à¤à¥€ अपना नाम बदल लिया। à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ ने कीचक को मार डाला जो रात में दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ लेना चाहता था। उसके बाद कौरव विराट की गायों को ले जाने लगे, तब वे अरà¥à¤œà¥à¤¨ से हार गà¤à¥¤ उस समय कौरवों ने पांडवों को पहचान लिया, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की बहन सà¥à¤à¤¦à¥à¤°à¤¾ ने अरà¥à¤œà¥à¤¨ से अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥ नाम के à¤à¤• पà¥à¤¤à¥à¤° को जनà¥à¤® दिया, राजा विराट ने उनकी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ धरà¥à¤®à¤°à¤¾à¤œ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर के साथ सात अकà¥à¤·à¥Œà¤¹à¤¿à¤£à¥€ सेना के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ होने के कारण कौरवों से यà¥à¤¦à¥à¤§ करने के लिठतैयार हो गà¤à¥¤ सबसे पहले à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ सबसे कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ के पास दूत के रूप में गà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ अकà¥à¤·à¥Œà¤¹à¤¿à¤£à¥€ सेना के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ राजा दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ से कहा राजनॠ! तà¥à¤® यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर को आधा राजà¥à¤¯ दो या उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ केवल पाà¤à¤š गाà¤à¤µ ही दो: अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ उनसे यà¥à¤¦à¥à¤§ करो।" शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की बात सà¥à¤¨à¤•à¤° दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ ने कहा - 'मैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤ˆ की नोक के बराबर à¤à¥€ जमीन नहीं दूंगा, हां, मैं जरूर दूंगा। उनके साथ यà¥à¤¦à¥à¤§ किया। तब विदà¥à¤° ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने घर ले जाकर शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की पूजा की और उनका समà¥à¤®à¤¾à¤¨ किया। इसके बाद वे यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर के पास लौट आठऔर कहा- महाराज! आप दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ से यà¥à¤¦à¥à¤§ करें। यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर और दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की सेना कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के मैदान में गई। शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ को देखकर उनके विरोध में पितामह à¤à¥€à¤·à¥à¤® और आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ की तरह अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने लड़ना बंद कर दिया, तब à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ ने उनसे कहा "पारà¥à¤¥à¤² à¤à¥€à¤·à¥à¤® आदि शिकà¥à¤·à¤• शोक के योगà¥à¤¯ नहीं हैं।" " शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के कहने पर अरà¥à¤œà¥à¤¨ यà¥à¤¦à¥à¤§ में उतर गया और यà¥à¤¦à¥à¤§ करने लगा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शंख बजाया। दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की सेना में à¤à¥€à¤·à¥à¤® पà¥à¤°à¤¥à¤® सेनापति बने। पांडवों का सेनापति। शिखंडी था। इन दोनों में घोर यà¥à¤¦à¥à¤§ छिड़ गया। उस यà¥à¤¦à¥à¤§ में à¤à¥€à¤·à¥à¤® सहित कौरव पकà¥à¤· के योदà¥à¤§à¤¾ पांडव-पकà¥à¤· के सैनिकों पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ करने लगे और शिखंडी आदि पांडव-पकà¥à¤· के वीर कौरव-सैनिकों पर अपने बाणों का निशाना लगाने लगे। कौरवों और पांडवों की सेना का वह संगà¥à¤°à¤¾à¤® देवासà¥à¤°-लड़ाई जैसा पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहा था। à¤à¥€à¤·à¥à¤® ने दस दिनों तक यà¥à¤¦à¥à¤§ किया और अपने बाणों से अधिकांश पांडव सेना को मार डाला। दसवें दिन, अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने वीरवर à¤à¥€à¤·à¥à¤® पर बाणों की à¤à¤¾à¤°à¥€ वरà¥à¤·à¤¾ की। इधर दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¦ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से शिखंडी ने à¤à¥€ à¤à¥€à¤·à¥à¤® पर बाणों की वरà¥à¤·à¤¾ की, जैसे बादल पानी बरसाता है। दोनों ओर के हाथीसवार, घà¥à¤¡à¤¼à¤¸à¤µà¤¾à¤°, सारथी और पà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥‡ à¤à¤• दूसरे के बाणों से मारे गà¤à¥¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के दसवें दिन अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने शिखंडी को अपने रथ के आगे बिठाया। शिखंडी को आगे देखकर à¤à¥€à¤·à¥à¤® ने धनà¥à¤· तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिया। अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने शसà¥à¤¤à¥à¤° तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बाणों की शयà¥à¤¯à¤¾ पर सà¥à¤²à¤¾ दिया। वे उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£ की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करते हà¥à¤ à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करते हà¥à¤ समय वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने लगे। जब à¤à¥€à¤·à¥à¤® के बाण-शयà¥à¤¯à¤¾ पर गिरने से दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ शोक से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² हो गया, तब आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ ने सेना की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ संà¤à¤¾à¤²à¥€à¥¤ दूसरी ओर, धृषà¥à¤Ÿà¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ आननà¥à¤¦à¤¿à¤¤ होकर पांडवों की सेना के सेनापति बन गà¤à¥¤ दोनों में घोर यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤ राजा विराट और दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¦ आदि दà¥à¤°à¥‹à¤£ रूपी समà¥à¤¦à¥à¤° में डूब गà¤à¥¤ उस समय दà¥à¤°à¥‹à¤£ काल की तरह रहते थे। इसी बीच उसके कानों में आवाज आई कि 'अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ मारा गया है। यह सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही आचारà¥à¤¯ दà¥à¤°à¥‹à¤£ ने अपने असà¥à¤¤à¥à¤°-शसà¥à¤¤à¥à¤° तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिये। à¤à¤¸à¥‡ समय धृषà¥à¤Ÿà¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ के बाणों से आहत होकर वह पृथà¥à¤µà¥€ पर गिर पड़ा। दà¥à¤°à¥‹à¤£ बड़े ही दà¥à¤°à¥à¤§à¤°à¥à¤· थे। पाà¤à¤šà¤µà¥‡à¤‚ दिन सà¤à¥€ कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का नाश करने के बाद वह मारा गया दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ फिर शोक से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² हो उठा। उस समय करà¥à¤£ अपनी सेना का कपà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बना: अरà¥à¤œà¥à¤¨ को पांडव सेना की सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤šà¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ करà¥à¤£ और अरà¥à¤œà¥à¤¨ के पास à¤à¤• था नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के असà¥à¤¤à¥à¤°-शसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ महासंगà¥à¤°à¤¾à¤®, जो देवासà¥à¤° संगà¥à¤°à¤¾à¤® को à¤à¥€ मात देने वाला था। करà¥à¤£ और अरà¥à¤œà¥à¤¨ के यà¥à¤¦à¥à¤§ में करà¥à¤£ ने अपने बाणों से शतà¥à¤°à¥ पकà¥à¤· के अनेक वीरों को मार गिराया; हालाà¤à¤•à¤¿ यà¥à¤¦à¥à¤§ गतिरोध होता जा रहा था, करà¥à¤£ उस समय लड़खड़ा गया जब उसके रथ का à¤à¤• पहिया धरती में धà¤à¤¸ गया (धरती माता के शà¥à¤°à¤¾à¤ª के कारण)। वह अपने गà¥à¤°à¥ परशà¥à¤°à¤¾à¤® दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शापित होने के कारण खà¥à¤¦ को दैवीय हथियारों का उपयोग करने में असमरà¥à¤¥ पाता है। तब करà¥à¤£ अपने रथ का पहिया निकालने के लिठनीचे उतरता है और अरà¥à¤œà¥à¤¨ से यà¥à¤¦à¥à¤§ के नियमों का पालन करने और कà¥à¤› समय के लिठउस पर तीर चलाना बंद करने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ करता है। तब शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ अरà¥à¤œà¥à¤¨ से कहते हैं कि करà¥à¤£ को अब यà¥à¤¦à¥à¤§ नियम और धरà¥à¤® की बात करने का कोई अधिकार नहीं है, जबकि उसने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥ के वध के समय किसी यà¥à¤¦à¥à¤§ नियम और धरà¥à¤® का पालन नहीं किया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आगे कहा कि उनका धरà¥à¤® तब कहाठथा जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दिवà¥à¤¯ जनà¥à¤® दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ को पूरी कà¥à¤°à¥ राजसà¤à¤¾ के सामने वेशà¥à¤¯à¤¾ कहा था। गेमिंग हॉल में उनका धरà¥à¤® कहाठगया? इसलिठअब उसे किसी à¤à¥€ धरà¥à¤® या यà¥à¤¦à¥à¤§ नियम की बात करने का अधिकार नहीं रहा और उसने अरà¥à¤œà¥à¤¨ से कहा कि कामना अब असहाय है (बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ का शà¥à¤°à¤¾à¤ª फलित हà¥à¤†) इसलिठउसे उसे मार देना चाहिà¤à¥¤ शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ कहते हैं कि यदि अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने इस निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• मोड़ पर करà¥à¤£ को नहीं मारा तो शायद पांडव उसे कà¤à¥€ नहीं मार पाà¤à¤‚गे और यह यà¥à¤¦à¥à¤§ कà¤à¥€ नहीं जीता जा सकेगा। फिर, अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने à¤à¤• हथियार का उपयोग करके करà¥à¤£ को मार डाला। करà¥à¤£ के शरीर के जमीन पर गिर जाने के बाद, राजा शलà¥à¤¯ कौरव सेना के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सेनापति बने, लेकिन वे यà¥à¤¦à¥à¤§ में केवल आधे दिन ही रह सके। दोपहर तक राजा यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने उसका वध कर दिया। यà¥à¤¦à¥à¤§ में दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ की लगà¤à¤— पूरी सेना मारी गई थी। अंततः उसका à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ से यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤ उसने पांडव पकà¥à¤· के कई सैनिकों को मारने के बाद à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ किया। उस समय दà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤§à¤¨ के अनà¥à¤¯ छोटे à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ ने गदा से पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करते हà¥à¤ मार डाला। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ के उस अठारहवें दिन, रात के समय, पराकà¥à¤°à¤®à¥€ अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ ने पांडवों की सोई हà¥à¤ˆ अकà¥à¤·à¥Œà¤¹à¤¿à¤£à¥€ सेना को हमेशा के लिठसà¥à¤²à¤¾ दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ के पांच पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚, उनके पांचालदेशी à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ और धृषà¥à¤Ÿà¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ को à¤à¥€ जीवित नहीं छोड़ा। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ निःसंतान होकर रोने लगी। तब अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने सींक के असà¥à¤¤à¥à¤° से अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ को हरा दिया। उसे मारा जाता देख दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अनà¥à¤¨à¤¯-विनय कर अपनी जान बचाई। अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ ने इसके बावजूद उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ की कोख नषà¥à¤Ÿ करने के लिठदà¥à¤·à¥à¤Ÿ अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ ने उस पर à¤à¤• असà¥à¤¤à¥à¤° का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया। लेकिन शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने उसे बचा लिया। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ की वही अजनà¥à¤®à¥€ संतान बाद में राजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ कृतवरà¥à¤®à¤¾, कृपाचारà¥à¤¯ और अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾- ये तीनों कौरव पकà¥à¤· के वीर उस यà¥à¤¦à¥à¤§ में जीवित बच गà¤à¥¤ दूसरी ओर पाà¤à¤š पांडव, सातà¥à¤¯à¤•à¤¿ और à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ - केवल ये सात ही जीवित रह सके; दूसरे कोई नहीं बचे। उस समय अनाथ महिलाओं की चीखें हर तरफ फैल रही थीं। à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ आदि à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ जाकर यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सांतà¥à¤µà¤¨à¤¾ दी और यà¥à¤¦à¥à¤§à¤à¥‚मि में मारे गठसà¤à¥€ वीरों का दाह संसà¥à¤•à¤¾à¤° कर उनके लिठजलांजलि दे धन आदि का दान किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में शरशयà¥à¤¯à¤¾ पर विराजमान शांतनà¥à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¨ à¤à¥€à¤·à¥à¤® के पास गये और उनसे समसà¥à¤¤ शांतिदायक धरà¥à¤®, राजधरà¥à¤® (अपधरà¥à¤®), मोकà¥à¤·à¤§à¤°à¥à¤® और दंडधरà¥à¤® को सà¥à¤¨à¤¾à¥¤ फिर वह गदà¥à¤¦à¥€ पर बैठा। इसके बाद उस शतà¥à¤°à¥à¤®à¤°à¥à¤¦à¤¨ राजा ने अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤˜ यजà¥à¤ž किया और उसमें बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को बहà¥à¤¤ सा धन दान किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ महामारी के कारण अरà¥à¤œà¥à¤¨ के मà¥à¤– से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ शà¥à¤°à¤¾à¤ª के कारण आपसी यà¥à¤¦à¥à¤§ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यादवों के विनाश का समाचार सà¥à¤¨à¤•à¤° यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ को राजा के आसन पर बिठाया और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बड़ी विदा करके अपने à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ चले गà¤à¥¤ जब यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर सिंहासन पर बैठे। तब धृतराषà¥à¤Ÿà¥à¤° गृहसà¥à¤¥-आशà¥à¤°à¤® से वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥-आशà¥à¤°à¤® में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर वन में चले गà¤à¥¤ (या वह ऋषियों के à¤à¤• आशà¥à¤°à¤® से दूसरे आशà¥à¤°à¤® में जाते समय जंगल में चला गया) उसके साथ देवी गांधारी और पृथा (कà¥à¤‚ती) थीं। विदà¥à¤° जी आग से à¤à¥à¤²à¤¸ गà¤à¥¤ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥€ ने पांडवों को धरà¥à¤® की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ और अधरà¥à¤® के विनाश का निमितà¥à¤¤ बनाकर पृथà¥à¤µà¥€ के à¤à¤¾à¤° को दूर किया और राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚ आदि का संहार किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ à¤à¥‚मिका का à¤à¤¾à¤° बढ़ाने वाले यादव कà¥à¤² को à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ के शà¥à¤°à¤¾à¤ª के बहाने मूसल से मार डाला गया। अनिरà¥à¤¦à¥à¤§ के पà¥à¤¤à¥à¤° वजà¥à¤° को राजा के रूप में अà¤à¤¿à¤·à¤¿à¤•à¥à¤¤ किया गया था। अविनाशी शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¸à¥à¤¥ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के लकà¥à¤·à¥à¤¯ हैं। जब उनका निधन हो गया, तो समà¥à¤¦à¥à¤° ने अपना वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त निवास छोड़ दिया और शेष दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤ªà¥à¤°à¥€ को अपने जल में डà¥à¤¬à¥‹ दिया। अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने मृत यादवों का अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° किया और उनके लिठजल चढ़ाया और धन आदि का दान à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की रानियों को दिया, जो पहले अपà¥à¤¸à¤°à¤¾à¤à¤ थीं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° ले चलो। रासà¥à¤¤à¥‡ में अरà¥à¤œà¥à¤¨ का अनादर करते हà¥à¤ लाठियों से लदे गà¥à¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ ने उन सबको छीन लिया। इससे अरà¥à¤œà¥à¤¨ के हृदय में बड़ा शोक हà¥à¤†à¥¤ तब महरà¥à¤·à¤¿ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के सानà¥à¤¤à¥à¤µà¤¨à¤¾ देने पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हो गया कि शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के समीप होने के कारण ही मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ बल है। हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° आकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ सहित राजा यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर से यह सब समाचार निवेदन किया, जो उस समय पà¥à¤°à¤œà¤¾ का पालन करते थे। वे बोले- 'à¤à¤¾à¤ˆ! वही धनà¥à¤· है, वही बाण है, वही रथ है और वह घोड़ा है, लेकिन शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ के बिना सब कà¥à¤› नषà¥à¤Ÿ हो जाता है जैसे कि असà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ को दिया गया दान। यह सà¥à¤¨à¤•à¤° धरà¥à¤®à¤°à¤¾à¤œ यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर ने परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ को राजà¥à¤¯ पर सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया। इसके बाद संसार की नशà¥à¤µà¤°à¤¤à¤¾ का विचार करते हà¥à¤ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ राजा दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ और उनके à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को साथ लेकर हिमालय की ओर महान पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ के मारà¥à¤— पर चल पड़े। दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€, सहदेव, नकà¥à¤², अरà¥à¤œà¥à¤¨ और à¤à¥€à¤®à¤¸à¥‡à¤¨ à¤à¤•-à¤à¤• करके उस महान मारà¥à¤— में गिर पड़े। इससे राजा शोकमगà¥à¤¨ हो गये।
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